महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स की सियासत: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के ‘एक होने’ की अटकलें तेज, बदलेगा सत्ता का समीकरण?
संवाददाता: Mozam Khan | दिनांक: 28 जुलाई 2025महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्माई हुई है, और इस बार केंद्र में हैं ठाकरे परिवार के दो प्रमुख चेहरे — उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे। सूत्रों के हवाले और राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार, दोनों भाइयों के बीच सियासी एकता को लेकर गुप्त स्तर पर बातचीत चल रही है।
अगर यह एकता साकार होती है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे बड़ा समीकरण बदलाव साबित हो सकता है, खासकर शिवसेना (UBT) और मनसे (राज ठाकरे) के समर्थकों के लिए।
क्या वाकई एक हो सकते हैं ठाकरे भाई?
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, बीते कुछ महीनों से उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संवाद की बहाली हुई है। माना जा रहा है कि दोनों नेता आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिंदे गुट के खिलाफ साझा रणनीति पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी तक न तो शिवसेना (UBT) और न ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की ओर से इस पर कोई औपचारिक घोषणा की गई है।एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने बताया:
"राज ठाकरे की आक्रामक शैली और उद्धव ठाकरे की राजनीतिक अनुभवशीलता अगर एक मंच पर आ जाती है, तो यह महाराष्ट्र में तीसरी ताकत का निर्माण कर सकती है।"
क्यों जरूरी है एकता?
उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 2022 में बड़ा झटका लगा था, जब एकनाथ शिंदे ने बगावत कर भाजपा के साथ सरकार बना ली थी। वहीं, राज ठाकरे की मनसे को बीते वर्षों में लगातार राजनीतिक जमीन खोते देखी गई है।
ऐसे में एकजुट होकर लड़ने की रणनीति दोनों दलों के लिए वजूद बचाने और भाजपा-शिंदे गठबंधन को चुनौती देने का एक मजबूत प्रयास हो सकता है।
मतदाता समीकरण पर संभावित असर
अगर ठाकरे ब्रदर्स एक होते हैं, तो इससे सबसे ज्यादा असर मराठी वोट बैंक पर पड़ेगा, जो अब तक बंटा हुआ है। मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक जैसे शहरी इलाकों में यह गठबंधन भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति खड़ी कर सकता है।विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गठबंधन एनसीपी और कांग्रेस के साथ भी तालमेल की राह खोल सकता है, जिससे विपक्ष एक मजबूत मोर्चा बना सकता है।
अब तक की स्थिति
कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में संभावित गठबंधन को लेकर उत्सुकता।
भाजपा और शिंदे गुट की नजर भी इस समीकरण पर टिकी हुई है।
निष्कर्ष:
अगर ठाकरे ब्रदर्स की राजनीतिक दूरी मिटती है, तो महाराष्ट्र की सियासत में नई ध्रुवीकरण की शुरुआत हो सकती है। जहाँ उद्धव ठाकरे के पास राजनीतिक संतुलन और जन समर्थन है, वहीं राज ठाकरे के पास तेज-तर्रार भाषण शैली और कट्टर मराठी समर्थन है। इस एकता से ना केवल राजनीतिक भूगोल बदल सकता है, बल्कि आगामी चुनावी नतीजों पर भी इसका असर गहराई से महसूस किया जाएगा।संवाददाता: Mozam Khan
दिनांक: 28 जुलाई 2025
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