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भाजपा में अंदरूनी बगावत की अफवाहें तेज, मोदी के इस्तीफे और योगी के नाम की अटकलें

संवाददाता: Mozam Khan | दिनांक: 28 जुलाई 2025

देश की राजनीति एक बार फिर अटकलबाज़ी और अफवाहों के तूफ़ान के बीच है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (ट्विटर) पर बीते 24 घंटों में कुछ पोस्ट्स में यह दावा किया गया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अंदर अंदरूनी बगावत तेज़ हो गई है। इन दावों के अनुसार, भाजपा के दर्जनों सांसद आगामी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन से अनुपस्थित रह सकते हैं।

इसके साथ ही कुछ पोस्ट्स में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस्तीफा दे सकते हैं और योगी आदित्यनाथ को अगला प्रधानमंत्री या भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा पार्टी के अंदर चल रही है। हालांकि, इन दावों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और भाजपा ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है।

सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?

'एक्स' पर कई अनवेरिफाइड अकाउंट्स और कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के पेज पर यह लिखा गया कि भाजपा के कुछ सांसद पार्टी नेतृत्व से नाराज़ हैं और वे अविश्वास प्रस्ताव के समय सदन से दूरी बना सकते हैं।

एक पोस्ट में लिखा गया:

"भाजपा में बड़ी टूट की आशंका, लगभग 35 सांसद मोदी नेतृत्व से असहमत। योगी को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।"
यह जानकारी न तो किसी मुख्यधारा मीडिया ने दी है और न ही किसी पार्टी के नेता ने इसकी पुष्टि की है।

अफवाह या रणनीति?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह सब एक रणनीतिक अफवाह भी हो सकती है, जो या तो विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही है या फिर भाजपा के अंदर किसी दबाव समूह की ओर से। इससे पार्टी नेतृत्व को चेतावनी देने की कोशिश की जा सकती है।

वरिष्ठ पत्रकार अजय घोष के अनुसार:

"हर चुनाव और संसद सत्र से पहले इस तरह की अफवाहें आम हैं। लेकिन भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में इस तरह की बगावत कम ही देखने को मिलती है।"

भाजपा का अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं

भाजपा की ओर से अविश्वास प्रस्ताव, मोदी के इस्तीफे या योगी आदित्यनाथ के प्रमोशन की अटकलों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी पूरी तरह एकजुट है और सोशल मीडिया की इन बातों को "बेवजह का राजनीतिक शोर" बताया जा रहा है।

निष्कर्ष:

राजनीति में गोपनीय चालें और अफवाहें कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन जब नाम देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे बड़े नेताओं का हो, तो चर्चा की तीव्रता और गंभीरता बढ़ जाती है। भाजपा जैसे संगठित दल में इतनी बड़ी बगावत की संभावना कम है, परंतु इन अटकलों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता, खासकर जब अविश्वास प्रस्ताव जैसे अहम पल करीब हों।

संवाददाता: Mozam Khan
दिनांक: 28 जुलाई 2025

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