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प्रशांत किशोर की रैली में गूंजे जनहित के मुद्दे, डिप्टी सीएम और ललन सिंह के गढ़ में दी चुनौती
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को बताया बिहार की असली ज़रूरत

संवाददाता: Mozam Khan | दिनांक: 29 जुलाई 2025

चुनावी गर्मी से पहले राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं और रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने हाल ही में राज्य के डिप्टी सीएम और जदयू नेता ललन सिंह के संसदीय क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित किया, जहाँ उन्होंने सीधे तौर पर स्थानीय नेतृत्व और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।

जनता से सीधा संवाद, मुद्दों पर केंद्रित भाषण

लाखों लोगों की भीड़ से खचाखच भरी रैली में प्रशांत किशोर ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा:
"बिहार के नौजवान आज भी रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भटक रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था जर्जर है, और सरकारी अस्पतालों की हालत ऐसी है कि वहाँ मरीज जाने से डरते हैं।"
उन्होंने कहा कि राजनीति अब जातियों की गिनती और नारों से नहीं चलेगी, बल्कि जनता को अब अपने अधिकार और ज़रूरतों के आधार पर सवाल करना होगा।

ललन सिंह के क्षेत्र में सीधी चुनौती होगी

यह रैली खास इसलिए मानी जा रही है क्योंकि यह जदयू के कद्दावर नेता और डिप्टी सीएम ललन सिंह के गढ़ में आयोजित की गई। यह प्रशांत किशोर की रणनीतिक चाल मानी जा रही है, जिसके ज़रिए वे सत्ता पक्ष को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे सिर्फ आलोचक नहीं, बल्कि विकल्प बनकर मैदान में उतर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का यह कदम उन्हें स्थानीय स्तर पर जनआंदोलन का चेहरा बनाने की ओर एक मजबूत प्रयास है।

"जन सुराज" आंदोलन का विस्तार

प्रशांत किशोर लंबे समय से "जन सुराज" आंदोलन के ज़रिए बिहार में सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की बात कर रहे हैं। उनकी यह रैली भी उसी अभियान का हिस्सा थी, जिसमें वे जमीनी स्तर पर जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। उनका दावा है कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है, न कि सिर्फ वादे।

सरकार की चुप्पी और विपक्ष की बेचैनी

जहाँ राज्य सरकार की ओर से इस रैली पर कोई प्रत्यक्ष टिप्पणी नहीं आई, वहीं जदयू के कुछ स्थानीय नेताओं ने प्रशांत किशोर के आरोपों को राजनीतिक स्टंट करार दिया। हालांकि, भीड़ और समर्थन को देखकर विरोधी दलों में हलचल मची हुई है।

निष्कर्ष:

प्रशांत किशोर की यह रैली बिहार की राजनीति में सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि एक चुनौती का एलान मानी जा रही है। जिस तरह से उन्होंने डिप्टी सीएम के क्षेत्र में सीधे जनता से संवाद किया और मुद्दों की राजनीति पर ज़ोर दिया, उससे स्पष्ट है कि वे अब नेतृत्व की भूमिका में गंभीरता से कदम बढ़ा चुके हैं।

संवाददाता: Mozam Khan
दिनांक: 29 जुलाई 2025

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